बच्चों में बढ़ती हुई diabetes है चिंता का विषय ! बच्चों में डायबिटीज़ की बढ़ती संख्या एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
पिछले कुछ वर्षों में, इस स्थिति में काफी वृद्धि देखी गई है और यह समस्या अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में सामने आ रही है।
डायबिटीज़ क्या है?
डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में इंसुलिन का स्तर या कार्य सही नहीं होता।
इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो ख़ून में मौजूद ग्लूकोज़ को कोशिकाओं में पहुंचाने का काम करता है |
ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे। डायबिटीज़ में या तो शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता या फिर कोशिकाएं इंसुलिन का प्रयोग करने में असमर्थ हो जाती हैं।
इस स्थिति में, ख़ून में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ता चला जाता है |
इससे कई गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
बच्चों में डायबिटीज़ के प्रकार
बच्चों में डायबिटीज़ की दो प्रमुख किस्में होती हैं – प्रकार 1 डायबिटीज़ और प्रकार 2 डायबिटीज़।
प्रकार 1 डायबिटीज़ में शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है |
जबकि प्रकार 2 डायबिटीज़ में कोशिकाएं इंसुलिन का प्रयोग करने में असमर्थ हो जाती हैं।
प्रकार 1 डायबिटीज़ अक्सर बचपन में ही शुरू हो जाती है और इसका कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली का खराब होना माना जाता है।
इस स्थिति में, शरीर के स्वयं के प्रतिरक्षा कोश इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं।
प्रकार 1 डायबिटीज़ वाले बच्चों को इंसुलिन की ख़ास दवाइयों का नियमित सेवन करना पड़ता है।
दूसरी ओर, प्रकार 2 डायबिटीज़ अक्सर बचपन व किशोरावस्था के बाद शुरू होती है।
इसके कुछ प्रमुख कारणों में अनुचित आहार, कम शारीरिक गतिविधि, मोटापा और आनुवंशिक कारक शामिल हैं।
प्रकार 2 डायबिटीज़ वाले बच्चों पर सही आहार और व्यायाम के अलावा कभी-कभी दवाइयों का भी सेवन करना पड़ता है।
भारत में बढ़ते मामले
भारत में डायबिटीज़ के मामलों में काफी तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
वर्ष 2021 में भारत में लगभग 77 लाख बच्चे डायबिटीज़ से पीड़ित थे |
जबकि वर्ष 2019 में यह संख्या 72 लाख थी। यानि कि महज 2 वर्ष में ही इसमें 5 लाख की वृद्धि हुई है।
इस बात को देखते हुए स्पष्ट है कि बच्चों में डायबिटीज़ एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
बच्चों में डायबिटीज़ के कारण
इस बढ़ती समस्या के पीछे कई कारण हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
जीवनशैली में बदलाव
बच्चों का जीवनशैली में काफी बदलाव आया है।
पहले के मुकाबले आज के बच्चे अधिक समय तक टीवी या मोबाइल फोन देखते हैं और कम शारीरिक गतिविधि में व्यस्त रहते हैं।
इससे न केवल मोटापा बढ़ता है बल्कि शारीरिक रूप से कमज़ोर भी होते हैं।
यह स्थिति डायबिटीज़ का प्रमुख कारक बन जाती है।
अनुपयुक्त आहार
बच्चों का आहार भी बहुत अनुपयुक्त हो गया है।
फास्ट फूड, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स जैसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन बहुत अधिक हो रहा है।
इनमें शक्कर और कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है और डायबिटीज़ जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
अन्य कारक
इसके अलावा, मोटापे, तनाव, जीन-संबंधी कारक और कुछ दवाइयों का सेवन भी डायबिटीज़ के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं।
अनुसंधानों से पता चला है कि जिन बच्चों के माता-पिता या भाई-बहन में डायबिटीज़ है, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है।
बच्चों में डायबिटीज़ के दीर्घकालिक प्रभाव
बच्चों में डायबिटीज़ एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसके दीर्घकालिक प्रभाव काफी खतरनाक हो सकते हैं।
इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों को कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है
जैसे – नेत्र संबंधी दिक्कतें, किडनी संबंधी समस्याएं, दिल की बीमारियां और स्किन संबंधी समस्याएं।
प्रबंधन और रोकथाम के उपाय
इन सब समस्याओं से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डायबिटीज़ को समय रहते ही पहचाना और उपचार शुरू किया जाए।
इसके लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, आहार नियंत्रण और व्यायाम आदि बहुत महत्वपूर्ण हैं। डाक्टरों की सलाह पर समय पर इंसुलिन या अन्य दवाइयों का सेवन भी करना चाहिए।
इसके अलावा, बच्चों में डायबिटीज़ की रोकथाम के लिए सामाजिक स्तर पर भी कई कार्य किये जाने चाहिए।
स्कूलों में स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।
माता-पिता और अभिभावकों को भी अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति और अधिक जागरूक होने की जरूरत है।
निष्कर्ष ( बच्चों में बढ़ती हुई diabetes है चिंता का विषय)
समग्र रूप से, बच्चों में बढ़ती हुई डायबिटीज़ एक गंभीर चिंता का विषय है
जिसका समाधान करने के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा संस्थान, माता-पिता और समाज के सभी वर्गों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
केवल इसी तरह से हम इस दिशा में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।